झुलसाती गर्मी से परेशान हृदय, लगाता है पल-पल बारिश की गुहार। धान की फसल लहलहाए, इसके लिए ज़रूरी है बारिश की फुहार। रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरा, और मेंढक करें टर्र-टर्र पुकार। अकुलाते पशु-पक्षी सारे, सूख चुका है सम्पूर्ण संसार। लौट आए काश! वो बचपन के दिन, जब कागज़ की कश्ती कराते थे हम पार। महक उठे … Continue reading बारिश की भीनी-भीनी फुहार
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