कविता – नए भारत का निर्माण
एक सपना जो हर किसी भारतीय के आँख में पल रहा है
एक नए भारत का निर्माण करना जहाँ किसी भी जात – पात का भेदभाव ना हो , जहाँ सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर रहें।
राजनीति जाति, धर्म ,आरक्षण के नाम पर नहीं बल्कि विकास के नाम पर हो, सुरक्षा के नाम पर हो ,रोजगार के नाम पर हो ,जहाँ सबका विकास हो ,जहाँ हर गाँव और शहर एक समान हो जहाँ हर नारी सुरक्षित हो, जहाँ हर बच्चे को शिक्षा मिले, जहाँ स्वास्थ्य सुविधा हर वक्त उपलब्ध हो।
कोई बेरोज़गारी ना हो, कोई भूख से दम ना तोड़ दे …
एक ऐसे नए भारत का निर्माण करना है हमें मिलकर जहाँ
शिक्षा का स्तर सुधरे और प्रत्येक भारतीय को शिक्षा, स्वास्थ्य ,रोजगार ,भोजन ,आवास की सुविधा मिल पाए आत्मनिर्भर भारत का सपना – सपना ही बनकर ना रह जाए।
धीरे-धीरे ही सही मिलकर प्रयास करेंगे भारत के नींव को और मजबूत बनाएंगे।
विश्व पलट पर तिरंगे को और ऊंचा फहराएंगे उससे पहले ये ओछी राजनीति को दूर भगाएंगे। कोई किसान फिर कर्जे के कारण आत्महत्या ना कर ले , काश ऐसा हो जो अन्नदाता कहलाता है उसके बच्चे कभी भूखे ना सोए बहुत जरूरी है ये सब कुछ सोचना, बदलाव लाना और एक नए भारत का पुनर्निर्माण करना।
“एक नया बदलाव लाना है “
कलम की ताकत का सबको एहसास कराना है,
नित सकारात्मक लेखनी से विचारों में एक नया बदलाव लाना है।
जाति धर्म का भेद मिटा कर फिर अखंड भारत का निर्माण करना है,
तोड़ बेड़ियाँ संकुचित विचारधारा की उन्मुक्त गगन में उड़ना है।
“वसुधैव कुटुम्बकम्” को मिलकर फिर से परिभाषित करना है,
पूरब ,पश्चिम ,उत्तर ,दक्षिण सभी दिशाओं में भारत को अग्रषित करना है।
खो रही इंसानियत को पुनः सभी इंसानों में जीवित करना है,
एकजुट हो सब बड़े संग – साथ एक ऐसी कड़ी को निर्मित करना है।
दूर हो भ्रष्टाचार भारत से कुछ ऐसा मिलकर प्रयास करना है,
सत्य, अहिंसा, सदाचार, परोपकार का हम सबको मिलकर पालन करना है।
गाँव हो या शहर मिलकर सबका विकास करना है,
भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार मिले सबको कुछ ऐसा बदलाव करना है।
हर बेटी रहें सुरक्षित जहाँ एक ऐसे समाज का निर्माण करना है,
तुम और मैं मिलकर बन जाएं “हम” चलो मिलकर एक सशक्त भारत का निर्माण करना है।।
लेखिका: सीता वोरा