Tum daro mat, bas aage badhte jao

Tum daro mat, bas aage badhte jao

हवा का रुख़ कभी एक सी नहीं रहती, 

कभी इधर तो कभी उधर चली जाती है।

रूप कई बदलकर हमारे आसपास मंडराती है, 

पर तुम डरो मत, बस आगे बढ़ते जाओ।

देख हमारी हसरत उसकी गति बदल जाती है, 

हमारे इरादो को देख वो राह बदल देती है।।

– Supriya Shaw…✍️🌺