कविता – करवा चौथ

सुहागिन के दिल का अरमान! 

मेरे माथे का चंदन हो तुम, 

सुहागी सिंदूर से बना, 

पवित्र बंधन हो तुम! 

मेरी हर इच्छा की पूर्ति का, 

मनमोहक समुंदर हो तुम! 

पिया ही तो है, मेरे खुशियों के संसार,

आज प्यारे पिया का है दीदार,

मेरे लिए तो रोज चाँद हो, 

फिर क्यों तेरा इंतज़ार हो! 

मेरी कल्पनाओं के सागर से, 

पल्लवित मेरे घर का आँगन हो तुम! 

मेहंदी रचे हाथ, सजे कंगन के साथ,

पूजा का थाल, और ले करवा हाथ,

सदा सुहागन का माँगे, चाँद से वरदान,

हर सुहागिन के दिल का ये अरमान! 

माता करवा से यही प्रार्थना करूँ,

और चंद्र को अर्ध्य अर्पित करूँ,

आज भी मेरे पति व्रत का, तपोवन हो तुम,

मेरे हृदय का क्रंदन हो तुम,

तुम्हारे लिए प्रिय, 

मैं निभाऊँ ये रीत

करवा चौथ पर चंदा से वर मांगू, 

हर जनम तुम ही बनो मेरे प्रीत! 

करवा चौथ

||  सिंदूर ||

 मांग में भरा लाल सिंदूर, प्रतिबिंब है पिया की परछाई का! 

ये रंग है दो अंजाने, लोगों को साथ में लाने का!! 

इसकी पवित्रता का मान, स्त्री रोज अपने माथे से लगाती है! 

प्रेम में विलीन होकर, ये सिंदूर रोज सजाती है!! 

जिम्मेदारियां है गर इसमें किलकारियां भी है प्यारी! 

मुश्क़िलों से लड़ने की हरदम तैयारियां भी है न्यारी!! 

इस एक रंग में छुपे हुए जीवन के रंग सभी प्यारे! 

इस चुटकी सिंदूर से भरता जीवन में रंग प्यारे!! 

स्त्री के अस्तित्व को निखार देते, वो पवित्र सिंदूर

सिंदूर के बिना हर श्रृंगार और हर एक स्त्री है अधूरी 

करवा चौथ (सदा सुहागन रहो) 

 माँग में भरकर सिंदूर, माँग टिका मैं लगाई

माथे सजी बिंदिया, कंगना भरी कलाई

व्रत रखकर चाँद से, माँगूँ आशिष विशाल

पुण्य घड़ी हुआ मिलन, बना जीवन निहाल

रचाई मेहंदी हाथों में, नाक नथनी लगाई

सज धज कर श्रृंगार आज मैं निखर आई

सदा सुहागन रहो का मांगती मैं चाँद से वरदान

जब तक साँस चले, सुहाग मेरा रहे सलामत

सजना का सजनी के लिए बेशुमार प्यार रहे

करवा माँ से करूँ प्रार्थना, सात जन्मों का साथ रहे

यही हमारी संस्कृति है, यही हमारी प्रकृति है

चाँद से करती हूँ मैं सभी सुहागन के लिए यही कामना

सबका सुहाग सलामत रहे, सदा सुहागन रहो तुम

Usha Patel

करवा चौथ – (सिंदूर बना रहे) 

मेरे होंठो पर बस तुम्हारा ही नाम रहे

तुमसे ही तो मेरे जीवन में आनंद रहे

करती हूँ करवा चौथ का व्रत, रहती हूँ भूखी- प्यासी

जिससे आपका प्यार सदा सलामत बना रहे

शाम को कर सोलह श्रृंगार, छलनी से करती साजन का दीदार

चाँद से करती हूँ कामना, मेरी माँग में सिंदूर बना रहे

मेरा साज- श्रृंगार सब साजन से है

मेरा घर और परिवार यूँ ही दमकता रहे

मेरे प्रिय पिलाए मुझे अधर सुधा जब, शर्म लाल होते रुखसार

ए चाँद! सातों जनम का साथ हमारा सदा बना रहे

💛💛💛करवा चौथ 💛💛💛

बड़ा प्यारा सा होता है, ये करवा चौथ त्यौहार

हिंदू धर्म का बहुत ही खास व्रत है ये करवा चौथ त्यौहार

रहती है वो पति के लिये भूखी- प्यासी

जिससे सदा सलामत बना रहे उसका प्यार

कितनी पवित्र होती है इनकी पति के प्रति चाहना

पति के नाम से कि जाती है, ईश्वर की आराधना

शाम को कर सोलह श्रृंगार, छलनी से करती साजन का दीदार

शर्म से लाल होते है तब सजनी के रुखसार

करती चाँद से पति की लंबी उम्र का वादा

करवे पर इतना बल, इनके प्रेम से उपज आता

प्रिय पिलाए सजनी को अधर सुधा जब

सातों जन्म के साथ का वर की चाँद से करती कामना तब

मेरा साज- श्रृंगार सब साजन से है

घर और परिवार सब साजन से है

उसके नाम से ही माँग भरती है वह, 

पिया की दीर्धायु के लिए करती है दुआ वह

प्यारा प्यार का त्यौहार यह करवा चौथ है

उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

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