दीपावली पर कविता

दीपक

|| शुभ दीपावली || 

दीपावली हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है। 

अँधेरे पर प्रकाश की जीत का पर्व है। 

दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। 

दीपावली खुशियों और रोशनी का पर्व है। 

दीपावली कईं त्यौहारों का समूह है। 

जिनमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज है। 

धनतेरस के दिन बर्तन खरीदा जाता है। 

तुलसी या घर के द्वार पर दीप जलाया जाता है। 

नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीप जलाते है। 

गोवर्धन पूजा के दिन गाय- बैलों को सजाते है। 

भाई दूज पर बहन भाई को ,तिलक लगाकर मंगल कामना करती है।

दीपावली के दिन श्री राम के स्वागत में घी के दीप जलाते है। 

जगमग करते दीपक लगते कितने प्यारे है। 

मानो आज उतर आये, अंबर से धरती पर तारे है। 

दीप जलाएं हम वहाँ, जिस घर है अंधियार। 

ये सच कहते हम, हो जग में उजियार। 

खुशहाली का पर्व दीपावली, कर लो रूप निखार। 

रूप चाँदनी सा लगे, करता जब श्रुंगार। 

स्वच्छ बने वातावरण, हम सब करे प्रयास। 

हर इक मन से तम मिटे, हो हर ओर उजास। 

|| रंगोली ||

तरह तरह के रंगो से सजी, 

      बनी है रंगोली। 

दीपावली का त्यौहार ही कहाँ, 

      बिन रंगोली। 

रंग भरी अल्पना, घर आँगन सजी रंगोली। 

दीपों से सज धज, देखो जगमगायी रंगोली। 

रंगो की दुनिया कहूँ या कहूँ रंगोली। 

कितनी अजीब है ना इंद्रधनुषी रंगो में, 

    दिखती ये रंगोली। 

द्वार सजाती हर उत्सव पर, 

      प्यारी रंगोली। 

मन भावन पुनीत व पावन, 

     सजी रंगोली। 

अलग अलग रंगो के समूह है रंगोली। 

नेत्रों को देता खुशी, मन को भर देता

    प्रसन्न रंगोली। 

इसलिए घर के आँगन को रंगोली से सजा लेना। 

घर के द्वार को सजा देना बनाकर रंगोली। 

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