माना घनघोर अंधेरा सामने है,
रास्तो का पता, ना मंज़िल सामने है।
ना साथी, ना हमसफ़र, ना कोई कारवाॅं है,
मन परेशान सा चलना है मुश्किल।
एक हौसला कह रहा तू क़दम तो बढ़ा,
चल कम से कम तू कोशिश तो कर।
हार कर रुक जाना ही जीवन नहीं है,
कोशिशो पर समय ने गति बदल दी है।।
– Supriya Shaw…