ज़िंदगी है बुलबुला पानी का

ज़िंदगी है बुलबुला पानी का

ज़िंदगी है बुलबुला पानी का,

है कहानी इंसान के जीने-मरने का। 

कभी डूबता, कभी उभरता, 

जीवन के हर रंग-रूप में,

ख़ुद की चाहत को रंग देता। 

लिए सपनों को पंख लगाए, 

उड़ने की कोशिश में रहता। 

टूट कर गिरता हर बार,

फ़िर से ख़ुद को ज़िंदा रखता। 

है ज़िंदगी का नहीं भरोसा, 

जानकर अनजान रहता। 

नज़ारा देख मौत का, 

ज़िगर में ना सैलाब उमड़ता। 

ज़िंदगी है बुलबुला पानी का, 

है कहानी इंसान के जीने मरने का।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

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