पति का पत्नी के लिए सुंदर कविता

Usha Patel

तुम्हारी झलक

 कभी अकेले में भी मुस्कुराती है,

कभी एक पल में सारा प्यार लुटाती है।

कभी ख़ुद ही बिन बात नाराज़ हो जाए,

कभी ख़ुद ही मान जाती है।

कभी अपनी ख़ामोशी से मुझे परेशान करें,

तो कभी बोल बोल कर मेरा दिमाग खाती है।

झलक तुम्हारी पाने को तरसता हूँ,

पर वो नहीं मिलने के बहाने बनाती है।

कभी लफ्जों से बयान कर देता हूँ प्यार,

कभी वो बिन सुने ही मेरे ज़ज्बात समझ जाती है।

यूँ छुप- छुपकर क्यूँ मुझे देखा करती हो,

अपनी इन्हीं अदाओं से प्यार कर जाती है।

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हमें इश्क़ हुआ

थोड़ा करीब आओ, प्यार हमें कर लेने दो,

मैं दिवाना हूँ तेरे इश्क़ का, बाँहों में भर लेने दो।

दिल में रहती हो, चैन भी चुराती हो,

हाँ! हमें इश्क़ हुआ है, तेरे लबों से लब मिल जाने दो।

कुछ लफ़्जों से तुमने सब अपना बना लिया,

हां इश्क़ है तुम को भी, इश्क़ में फ़ना हो जाने दो।

आलिंगन करने को आतुर, कुछ तुम हृदय की कहो न,

अंग में धारूँ, अंग लगाऊँ, आलिंगन तेरा यूँ हो जाने दो।

तुम मेरी सदा ही प्रियतम, अंग लगाए सब रंग भरूँगा,

तुम्हारे साथ ये ज़िन्दगी, हंसी सफ़र बन जाने दो।

लेखिका – उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

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