प्रेम विरह कविता हिंदी

©Alfaj_E_Chand (Moon)

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें

वो ग़ुलाब जो दिया था उसने हमें, 

हमारी पहली मुलाक़ात पर, 

जिसे छिपाया था मैनें सबकी निगाहों से, 

अपने डायरी के पन्नों के बीच, 

 सूख गये हैं अब वो, 

उन पन्नों के बीच दबे – दबे, 

पर अब भी आती है उससे वही महक, 

जो महक समाये हुए थी उसमें उस वक़्त, 

जब वो छिपाये हुए थी अपने अंदर, 

भरकर मुहब्बत के रंगों के साथ,

अपने सुंदरता अलौकिकता का सारा खज़ाना, 

दिलाती है जो अब भी हमें, 

मीठी यादें उन लम्हों की, 

जिन लम्हों की थी बनी वो साक्षी, 

और बिखेर देती हैं मेरे चेहरे पर, 

एक बार फिर वहीं मुस्कान, 

जो मुस्कान मेरे चेहरे पर आयी थी, 

पाकर उसे उस वक्त,

और कर देती है एक बार फिर, 

जोरों से हृदय स्पंदित मेरा उसकी याद में,

और पाती हूँ मैं ख़ुद को रंगी हुई एक बार पुन:,

उसकी मुहब्बत में, 

ठीक वैसे ही जैसे “राधा” “श्रीकृष्ण ” के प्रेम में, 

और “श्रीकृष्ण” “राधा ” के प्रेम में,

जो सदैव पास होकर भी दूर रहें, 

और दूर होकर भी सदैव पास रहें, 

एक – दूसरे के, 

ठीक वैसे ही मैं और वो है॥ 

जो जा रहें हैं छोड़कर

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें; रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ी उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

 हाँ, बार – बार तेरे कहने से हो सके शायद रूक तो जायेंगे,

पर पहले की भांति….

शायद फिर से वो दिल से रिश्ता संग तेरे निभा ना पायेंगे।। 

ऐसी स्थिति में….

शायद ना तो तुम पूरी तरह से ख़ुश रह पाओगे,

और ना ही वो पूरी तरह से कभी ख़ुश रह पाएंगे।।

दोनों ही…. 

अवसादों और निस्पंद ख़ामोशियों के साये में, 

अपना – अपना कीमती वक़्त बितायेगे।। 

खुशियाँ भी देगी जो दस्तक….

ऐसे उधेड़बुन वाले रिश्तों के दरवाज़े पर;

संपूर्णता के लिबास में लिपटी ना होगी कभी।। 

बदलते वक़्त, बदलते हालात भी,

पहले जैसे उन रिश्तों को मजबूती दे ना पायेगें,

अपने साध्वस को….

किसी -न- किसी कसक के साये तले,

एक-दूजे की निगाहों से हर वक़्त ही छिपाते नजर आयेंगे।। 

जो जा रहें हैं छोड़कर, जाने दो  उन्हें रोको नहीं,

ज़बरदस्ती अपनी मर्ज़ीट उनपर तुम कभी थोपो नहीं।। 

कह दिया अलविदा

कह दिया अलविदा हमेशा के लिए, 

उसका जीवनसाथी, 

अपने भरन -पोषण के लिए नहीं गवारा समझा, 

किसी और पर निर्भर होना, 

चुनी राह अपनी बनने आत्मनिर्भर,

किया नही उसने समझौता परिस्थितियों से, 

अपने स्वाभिमान के खातिर, 

लड़ती रही डटकर लगातार, 

खटकती है वो, 

इसलिए कुछ लोगों की आँखों में,

बस उनके अंतस में बैठे इस डर से, 

कहीं वो निकल जाये ना आगे, 

इस पुरुषप्रधान समाज में,

और बना ना ले कहीं,

 वो अपनी एक अमिट सम्मानीय पहचान, 

देने ना लगे सब उसकी मिसालें, 

करने ना लगे समस्त स्त्री जाति अनुकरण उसका,

आ ना जाये कहीं जिससे पुरुष सत्ता खतरे में,

करते हैं संबोधित जिस कारण ही वही लोग, 

उन कलुषित शब्दों से, 

जो व्याख्या करती नहीं उसके सही व्यक्तित्व को, 

पर उसे पड़ता नहीं फर्क उन दूषित शब्दों से, 

सताता है भय,

क्योंकि डरती नहीं वो,

दुनियावालों की झूठी नापाक चोचलेबाजी से,

इसलिए कि जानती है वो, 

तर्क की कसौटियों पर कसे जायेंगे,

जब विचार उसके,

तब वो उतरेगी खरी शत – प्रतिशत, 

फिर भी वो चाहती नहीं बहस में पड़ना,

उनलोगों के साथ, 

क्योंकि जानती है वो, 

जगाया उसे ही जा सकता है जो सोया हुआ है, 

उसे नहीं जो सोने का नाटक कर हो ||

— ©Alfaj_E_Chand (Mood) ✍✍

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“यूपी में का बा?” गीत नेहा सिंह राठौर

आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए

मुंबई ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने आखिरी सांसे ली

लता मंगेशकर
फोटो गूगल सर्च से लिया गया है

6 फरवरी 2022 को भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अपनी आखिरी सांसे ली।

28 सितंबर 1929 से 6 फरवरी 2022 तक का सफ़र – 

लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 में इंदौर मध्यप्रदेश में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर थे। वह भी एक कुशल रंगमंच गायक थे।

स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपने जादुई और मनमोहक आवाज़ में 25 भाषाओं में गाना गाया है।

 इनकी छवि एक पार्श्व गायिका के रूप में प्रसिद्ध रही है। उनकी सुरीली आवाज़ में वह जादू है जिसको सुनकर जाने कितनों की आंखों में आंसू आ जाते, तो कितने मन मुग्ध होकर खो जाते, वहीं सरहद पर बैठे जवानों को हौसला मिल जाता, तो कहीं किसी की ख़ुशी का कारण बन जाता है।  किसी ना किसी तरह उनकी आवाज़ दिल को छू लेने वाली आवाज़ है।

लता मंगेशकर के संघर्ष के दिन

सफ़लता आसान नहीं होती है हर किसी के लिए, उनके लिए भी संघर्षपूर्ण रही। लता जी को भी अपने शुरुआती दिनों में कई संगीतकारों ने उनके पतले आवाज़ की वज़ह से गाने से मना कर दिया करते थे। उनकी तुलना प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहां के साथ की जाने लगी थी। लेकिन अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर लता जी को अपार सफ़लता मिली और उनकी गायकी को फिल्म जगत में एक मज़बूत स्थान मिला। 

सफ़लता के दिन

लता जी की प्रतिभा को 1947 में पहचान मिली, जब वह फ़िल्म ‘आपकी सेवा में’ उन्होंने गीत गाया था। उसे लोगों ने बहुत सराहा और फ़िर एक के बाद एक कई फ़िल्मों में उन्हें गाने का मौका मिलता चला गया। 

लता जी ने 25 भाषाओं में 50,000 से भी ज़्यादा गाना गाए हैं। उन्होंने बड़े-बड़े संगीतकारों के लिए गाना गाया है। एस डी बर्मन, मदन मोहन, अनिल विश्वास, शंकर जयकिशन, नौशाद, सी रामचंद्र, सलिल चौधरी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे सभी संगीतकारों ने उनके काम को सराहा है और उनके लिए अनेकों गाने लता जी ने गाए हैं। लता जी ने 712 गाने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए हैं।

लता जी को अनगिनत अवार्ड, पुरस्कार, सम्मान मिले हैं। जिसकी एक छोटी सी सूची नीचे दी हुई है।

1994 में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला

2008 में, भारत की आजादी के 60 वीं वर्षगांठ स्मृति के दौरान “लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

भारत सरकार पुरस्कार

1969 में, पद्म भूषण से सम्मानित

1989 में, दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित

1999 में, पद्म विभूषण से सम्मानित

2001 में, भारत रत्न से सम्मानित

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

वर्ष 1972 में, फ़िल्म परिचय के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

वर्ष 1974 में, फ़िल्म कोरा कागाज़ के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

वर्ष 1990 में, फ़िल्म लेकिन के गाने के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका

फिल्मफेयर पुरस्कार

1959 में,  “आजा रे परदेसी” (मधुमती) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1963 में, गीत “कहीं दीप जले कहीं दिल” (बीस साल बाद) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1966 में, गीत “तुम्हीं मेरे मंदिर, तुम्हीं मेरी पूजा” (ख़ानदान) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1970 में, गीत “आप मुझे अच्छे लगने लगे” (जीने की राह) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका 

1995 में, गीत “दीदी तेरा देवर दिवाना” (हम आपके हैं कौन) के लिए फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार 

इनके अलावा भी उन्हें कई अन्य पुरस्कार, सम्मान, उपलब्धियां है।

लता जी के प्रसिद्ध फिल्मों के गाने

उन्होंने जिन प्रसिद्ध फ़िल्मों में गाना गाए हैं उसमें दो आंखें बारह हाथ, मदर इंडिया, बरसात, दो बीघा ज़मीन, मुगल-ए-आजम, महल, एक थी लड़की, जंगली, मधुमति, बीस साल बाद, ख़ानदान, जीने की राह, हम आपके हैं कौन, ऐसे कई फिल्मों को अपनी आवाज़ देकर लोकप्रिय फिल्म बनाई है। उनकी आवाज़ के दीवाने कल भी थे आज भी हैं और सदा रहेंगे। उनका यह गाना – रहे ना रहे हम

सच है वह रहें या ना रहें उनकी आवाज़ हमेशा हम सब की धड़कनों में ज़िंदा रहेगी।

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

‘यूपी में का बा!’ और ‘यूपी में सब बा’ गाने की चर्चा हर तरफ़ हो रही है

‘यूपी में का बा!’ और ‘यूपी में सब बा’ गाने की चर्चा हर तरफ़ हो रही है। मगर जो बात ‘यूपी में का बा!’ में दिखाई दें रहीं है।

वो ‘यूपी में सब बा’ या  ‘यूपी में बाबा है… यूपी में बा… बा,  में भी वो बात नहीं दिखाई दें रहीं है।

“यूपी में का बा?” गीत गाकर और जिस ज़िंदादिली से अनेकों न्यूज़ चैनल और रिपोर्टरों के सामने आकर “यूपी में का बा – पार्ट 2”  बनाने का जोश नेहा सिंह राठौर ने दिखाया वह काबिले तारीफ़ है। 

सोशल मीडिया पर ‘यूपी में का बा’  गीत के लिए ट्रोल की जा रहीं नेहा सिंह राठौर ने ‘यूपी में का बा! पार्ट 2’ बनाकर इतना तो ज़रूर बताया है कि जनता उनके साथ है। कई न्यूज़ चैनल  में उन्हें इतना तक कहते दिखें कि आपके गीत के हर शब्द कहीं ना कहीं सत्य है। इसलिए हम आपके साथ हैं और उनके गाने को बार-बार अपने चैनल पर दिखा रहें हैं। उनके इंटरव्यू को BBC News Hindi, इंडिया टीवी, news24, News talk जैसे कई चैनल पर देख सकते हैं। 

उनके ‘यूपी में का बा’  इस गीत को हर न्यूज़ चैनल पर हम देख सकते हैं। सुन सकते हैं कि इस गाने के बोल कहीं भी ऐसे नहीं है जिसकी वज़ह से नेहा सिंह राठौर को इतनी ट्रोलिंग की मार सहनी पड़े। इसलिए उनकी बात कितनी सच कितनी झूठ है यह हम सब जानते हैं।

लेकिन अब वहीं ‘यूपी में सब बा’ रवि किशन की आवाज़ में हम सब सुन सकते हैं। उसके लिए ट्रोल की मार खाने की नौबत नही आएगी। 

वैसे नेहा सिंह राठौर के हर गीत में समाज के लिए एक संदेश दिखता है। गरीबी, बेरोज़गारी, नई दिशा, दोहरे चेहरे का सच, रीति और कुरीतियों के साथ अपनी सभ्यता और संस्कृति का एक नया रूप दिखता है नेहा सिंह राठौर के गाने में। 

आज लोग उनके साथ हैं इसलिए वह ‘यूपी में का बा’ के बारे में कहती है, अभी तो यह शुरुआत है! अभी तो इसके पार्ट 3, पार्ट 4, पार्ट 5 आते ही रहेंगे, मैं किसी से डरने वाली नहीं हूं।

और वाकई में अगर एक गीत के बोल पर इतनी ट्रोलिंग हो तो रुकना नहीं चाहिए नेहा सिंह राठौर को। उनका फ़ैसला बिल्कुल सही है। वो अपने शब्दों को कहीं भी कमज़ोर ना पड़ने दें। हमारी यही कामना है। 

और आख़िरी में एक और गायिका का भी जिक्र करूंगी जो गा रही हैं ‘यूपी में बाबा है यूपी में बाबा’! अब बस इतना ही। 

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस। राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?

कम उम्र में बालों का गिरना एक बहुत बड़ी समस्या

Usha Patel

आजकल कम उम्र में बालों का गिरना एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है

कारण पढ़ाई का बोझ, डिप्रेशन, तनाव, घर से दूर हॉस्टल और लॉज में पढ़ाई अथवा नौकरी के लिए जाना, जिसके कारण असमय भोजन और पौष्टिक तत्व की कमी होना।

डैंड्रफ की समस्या, बाल गंदे होने की वजह से बालों का झड़ना, तेल ना लगाना, जिसके कारण बालों में रूखे पन की समस्या उत्पन्न हो जाती है और बालों की नमी चली जाती है, जिसके कारण बाल झड़ने लगते हैं। 

इन सभी कारणों की वजह से बाल कब झड़ जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता और हम बालों के ऊपर ध्यान नहीं दे पाते हैं।

क्योंकि कम उम्र में हमारे शरीर को जितनी पौष्टिक तत्वों की ज़रूरत होगी और हम उतना नहीं दे सके तो इन सब का प्रभाव सबसे ज़्यादा हमारे बालों पर आंखों पर पड़ता है। जिसके कारण बाल गिरते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि यह किस वजह से हो रहा है।

कुछ बातों पर ध्यान देकर हम असमय बालों का झड़ना रोक सकते हैं –

बालों में तेल का मसाज

बालों में रूखेपन की समस्या को दूर करने के लिए नियमित मसाज ज़रूरी है। तेल से बालों में नमी बनी रहती है जिससे डैंड्रफ की समस्या नहीं होगी। बालों के झड़ने का मुझे कारण डैंड्रफ होता है।

विटामिन युक्त भोजन का सेवन

भोजन में हरी सब्ज़ियों का प्रयोग सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। हम कितनी भी विटामिन की गोलियां खा ले, मगर जो पोषक तत्व हरी फल, सब्ज़ियों से मिलती है वह किसी दवाइयों से नहीं।

आंवला

आंवला का सेवन खाने से लेकर बालों में लगाने तक करना उपयोगी है। आंवला को नारियल तेल में उबालकर छानकर रख लें और इसे नियमित रूप से लगाएं। बालों का झड़ना और बालों के रूखेपन की समस्या से निजात मिलेगी।

दूसरा सूखे आंवले के साथ शिकाकाई को रात में भिगोकर सुबह लगाने से भी अस्थाई रूप से निजात पा सकते हैं। आंवला का उपयोग अगर कम उम्र से ही शुरु कर दिया जाए तो बालों की समस्या कभी नहीं होगी और बाल स्वास्थ्य बने रहेंगे।

सुबह की धूप बालों के लिए विटामिन डी का काम करती है

अक्सर समय की कमी की वज़ह से सुबह की धूप बच्चों को नहीं मिल पाती है जिससे विटामिन डी की कमी की वजह से बालों का ग्रोथ नहीं होता। जो बाल बचे रहते हैं वह भी कमज़ोर होकर झड़ते रहते हैं।

बालों को कर्ली या स्ट्रेट करने वाले मशीनों से बचे

बालों को कर्ली और स्ट्रेट करने वाली मशीन से बजे। यह बालों को कमज़ोर बना देते हैं बाल पतले होकर झड़ने लगते हैं।

केमिकल ट्रीटमेंट से बचे

बालों को अलग-अलग हेयर स्टाइल बनाने के लिए पार्लर में केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। बालों को कलर करने वाले केमिकल कुछ समय के लिए बालों को सुंदर दिखाते हैं, लेकिन बाद में वहीं बालों की असली सुंदरता ख़राब कर देते हैं। और हमें हमेशा केमिकल वाले कलर पर डिपेंड होना पड़ता है। अगर शुरू से ही बालों पर कोई केमिकल नहीं लगाए तो बाल नेचुरल और शाइनी दिखेंगे। 

अमोनिया युक्त कलर बालों को ख़राब कर देते हैं इसलिए अगर एक उम्र के बाद कलर लगाना भी है तो अमोनिया वाले कलर का इस्तेमाल ना करें। यह बालों की असली चमक को खराब कर देते हैं।

ऐसी ही छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर हम अपने बालों की देखभाल कर सकते हैं और उसे असमय झड़ने से रोक सकते हैं।

उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल
कविता – प्रेम विरह कविता

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए।

यह जरूरी तो नहीं की मैं Branded कपड़े, जूते, घड़ी पहनकर सभ्य, अमीर और बुद्धिमान दिखूँ ।

जैसे जैसे उम्र का तकाजा होता गया दुनिया की समझ भी आने लगी कि अगर मैं Rs. 200 की घड़ी पहनूँ या Rs. 20000 की समय दोनों एक ही जैसा बताएंगी।

Rs. 5000 की ब्रांडेड जूते पहनु या Rs. 500 की पहनना पैर में ही हैं।

मेरा पर्स (वॉलेट) Rs. 300 का हो या Rs. 3000 का समान दोनों में रखा जा सकता है।

आगे बढ़ते उम्र के साथ आखिर में मुझे ये भी पता चला की यदि मैं बिजनेस क्लास मे यात्रा करूं या इकनोमी क्लास में, अपनी मंजिल पर नियत समय पर ही पहुँचूँगा।

इसीलिए आप अपने बच्चों को ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित ना करके उन्हे ये सिखाए की वे खुश कैसे रह सकते है, और जब वो बड़े हो तो वे चीजों के महत्व को समझे – उसकी कीमत को नहीं।

Branded चीजों का काम अमीर लोगों की जेब से पैसे निकालना होता है, जिससे गरीब व मध्यम वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं।

क्या यह आवश्यक है कि मैं रोज Mac’d या KFC में ही खाऊ, ताकि लोग मुझे कंजूस ना समझे?

क्या यह आवश्यक है कि रोजाना अपने दोस्तों के साथ बाहर जाऊ, कैफै में बैठू, Restaurant में खाऊँ ताकि लोग मुझे रईस परिवार का समझे?

क्या यह आवश्यक है कि मैं Gucci, Addidas, Armani, Nike का ही पहनु ताकि मैं ब्रांडेड दिखूँ।

नहीं दोस्तों…

मेरे कपड़े आम दुकान से खरीदे होते हैं।
दोस्तों के साथ किसी ढाबे पर बैठ जाता हूँ।

भूख लगे तो किसी ठेले से लेकर खा लेता हूँ, खाने के अपमान करना अच्छी बात नहीं।

अपनी सीधी सादी भाषा बोलता हूँ।

चाहू तो वह सब कर सकता हु जो उपर लिखा है।

लेकिन

मैंने ऐसे भी परिवार देखे हैं जो एक Branded जूतों को जोड़ी की कीमत में अपना एक हफ्ता का राशन ले सकते हैं।

मैंने ऐसे परिवार भी देखें हैं जो एक Mac’d के बर्गर की कीमत मे पूरे घर का खाना बना सकते हैं।

यहाँ मैंने बस यही देखा हैं की पैसा ही सबकुछ नहीं होता, जो लोग किसी की बाहरी हालत देखकर उसकी कीमत लगाते हैं, मैं उनसे यही कहूँगा वो अपना इलाज तुरंत करवाएं।

मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, सहानुभूति, भाईचारा और मेलजोल का तरीका है न की उसकी मौजूदा शल्क, सूरत।

एक बार सूर्यास्त के समय सूर्य ने सबसे पुछा की मेरी अनुपस्थिति में मेरी जगह कौन कार्य करेगा ?

समस्त विश्व में सन्नाटा छा गया। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था, तभी एक कोने से आवाज आई।

दिये ने कहा – “मैं हूँ ना” मैं अपना पूरा प्रयास करूंगी।

निष्कर्ष : आपकी सोच में ताकत व चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, आपकी सोंच बड़ी होनी चाहिए।

मन के अंदर दीप जलाए, सदा मुस्कराते रहें और लोगों में खुशिया बिखेरते रहें।

By – Vikash Kumar
Digital Marketing Stretegist
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राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?
मोटिवेशनल कोट्स और स्टेटस
Two lines motivational quotes and status
2 Lines quotes and status on life in Hindi

बालों को घना और चमकदार बनाने के लिए घरेलू उपाय

Usha Patel

कम समय में बालों को घना और चमकदार कैसे करें

स्वस्थ और सिल्की बालों के उपचार में हम केमिकल युक्त महंगे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। सलून जाते हैं फिर भी हमें वह रिज़ल्ट नहीं मिलता जो हमें रेगुलर घरेलू और सस्ते उपाय से मिलता है। सलून में जाकर बालों पर रेगुलर पैसे ख़र्च करना सबके बस की बात नहीं है। घर में रखे हुए चीजों से हम बालों की देखभाल कर सकते हैं। उसे बालों में लगाकर सिल्की और शाइनी बना सकते हैं। बालों को स्वस्थ रख सकते हैं। 

आज मैं कुछ ऐसे ही घरेलू उपायों के बारे में बताऊंगी जो हम सभी बिना ख़र्च किए आसानी से कर सकते हैं और अपने बालों को घने और सिल्की बना सकते हैं। स्वस्थ और सिल्की बालों के लिए कुछ घरेलू और आसान उपाय – 

प्याज का रस – बालों के स्वस्थ और सुंदर विकास के लिए प्याज का रस उपयोगी है। प्याज के रस में सल्फर होते है जो बालों के प्रोटीन कैरोटीन की कमी को पूरा करते है। जो बालों को सिल्की, मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है। प्याज के एंटीबैक्टीरियल गुण के कारण बाल जड़ों से मजबूत रहते हैं।

प्याज के रस में नींबू का रस मिलाकर लगाना ज़्यादा फायदेमंद रहता है। बालों पर इसे 20 से 30 मिनट रखना चाहिए।

मेहंदी (हिना) में अंडे की ज़र्दी मिलाएं – मेहंदी में अंडे की ज़र्दी डालकर लगाने से बालों में कंडीशनर का काम करता है। जिससे बालों का चमक और रंगत दोनों बरकरार रहती है। मेहंदी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो बालों में संक्रमण लगने से रोकते है। बालों में मेहंदी आप महीने में एक बार लगा सकते हैं। यह सबसे अच्छा घरेलू उपाय।

दही से बालों सिल्की और शाइनी बनाएं – दही में पोटैशियम, मैग्निशियम, मिनरल, कैल्शियम और विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होती है। जो बालों को स्वस्थ और घने रखने में सहायक होती है। दही को बालों पर 15 से 20 मिनट लगा कर रखे और बाल धो लें। इससे बालों का गिरना, खुजली जैसी समस्या दूर होगी और बाल स्वस्थ हो रहेंगे।

अंडे की ज़र्दी (सफ़ेद हिस्सा) और नींबू का रस-  अंडा बालों के लिए सबसे उत्तम है। बालों में केराटिन की कमी को पूरा करने में अंडा सहायक है। अंडे की ज़र्दी लगाने से बालों में नमी बरकरार रहती है जिससे डैंड्रफ जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है और साथ ही बाल हेल्दी और घने होते हैं। अंडे में मौजूद प्रोटीन और विटामिन बालों को स्वस्थ और सुंदर बनाते हैं। 

अंडे में नींबू का रस मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और इस मिश्रण को बालों पर अच्छी तरह लगाएं, इसे 30 से 40 मिनट रखने के बाद धो लें और इस प्रक्रिया को आप महीने में तीन या चार बार कर सकते हैं। इसके चमत्कारिक फ़ायदे आपके सामने होंगे।

बालों में तेल की मालिश करें – बालों में तेल की मालिश आमतौर पर भी फायदेमंद होते हैं। रूखे (ड्राई) बालों में नमी बनाए रखने और शरीर केवल रक्त संचार बेहतर बनी रहें इसके लिए तेल से मालिश ज़रूरी है। बादाम, नारियल या जैतून का तेल या कोई भी अच्छा बालों में लगाने वाले तेल जो आप इस्तेमाल करते हैं उसे लगा सकते हैं। उससे सिर पर मसाज करें। मसाज करने से पहले थोड़ा गर्म कर ले और बालों की जड़ों में तेल लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें। तेल बालों के लिए भोजन का काम करता है और मानसिक राहत भी मिलती है। इसलिए तेल का मसाज ज़रूर करें।

आजकल हर किसी को सुंदर और स्वस्थ मजबूत बाल चाहिए, सिल्की बाल चाहिए। जिसके लिए हर इंसान महंगा प्रोडक्ट और सलून का इस्तेमाल नहीं कर सकता। हर किसी के लिए इतने पैसे ख़र्च करना आसान नहीं है। इसलिए घरेलू उपाय से हम वह सब पा सकते हैं जो हमें महंगें प्रोडक्ट से नहीं मिल सकता। इन घरेलू उपाय को अपनाकर हम सुंदर, घने और सिल्की बाल आसानी से पा सकते हैं।

उषा पटेल

छत्तीसगढ़, दुर्ग

डैंड्रफ कैसे हटाये

फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल कितना सही कितना गलत

23 दिसंबर राष्ट्रीय किसान दिवस। राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?

National Farmers Day

National Farmers Day, राष्ट्रीय किसान दिवस भारत के पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन को मनाने की शुरूआत महत्व व अन्य महत्वपूर्ण बातें।

भारत एक कृषि प्रधान देश हैं, यहां की आधी से ज्यादा आबादी खेती-किसानी करती है। क्योंकि भारत मुख्य रूप से गांवों की भूमि है और गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी किसानों की है और कृषि उनके लिए आय का प्रमुख स्रोत है। किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज उपजाते है तभी वह हर भारतीय के थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य बनता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर हर साल किसान दिवस मनाया जाता है।

चौधरी चरण सिंह के आकर्षित करने वाले व्यक्तित्व और किसानों के पक्ष में विभिन्न लाभकारी नीतियों ने जमींदारों और धनियों के खिलाफ भारत के सभी किसानों को एकजुट किया। उन्होंने भारत के दूसरे प्रधान मंत्री द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारे जय जवान जय किसान का पालन किया।

पूर्व प्रधानमंत्री को याद करने के अलावा इस दिन राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है। वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया।

किसानों के प्रति उनका प्रेम इसलिए भी था क्योंकि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह उनकी समस्याओं को अच्छी तरह से समझते थे। राजनेता होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एक अच्छे लेखक भी थे।

पंजाब और हरियाणा में विकसित 60 के दशक के दौरान हरित क्रांति ने देश की कृषि तस्वीर को बदल दिया। इससे उत्पादकता में वृद्धि हुई और इस तरह भारत विभिन्न कृषि वस्तुओं में आत्मनिर्भर हो गया।

जब वे 1979 में भारत के प्रधान मंत्री बने तो उन्होंने किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई बदलाव किए। यह एक दिलचस्प तथ्य भी है कि भारत के प्रधान मंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह ने कभी भी लोकसभा का दौरा नहीं किया।

किसान दिवस कैसे मनाया जाता है।

इस मौके पर पूरे देश में स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, चर्चाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है।

इस दिन सरकार भारत के किसानों और विभागीय कृषि विज्ञान से संबंधित कई कार्यक्रम, सेमिनार और चर्चा का आयोजन करती है।

कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक गांवों का दौरा करके किसानों और उनसे संबंधित मुद्दों को समझने और उनके कृषि उत्पादन को बचाने के लिए कृषि तकनीकों और विभिन्न प्रकार के बीमा योजनाओं के बारे में समाधान और जानकारी प्रदान करते हैं।

चौधरी चरण सिंह को मिट्टी का पुत्र माना जाता है जो किसानों के समुदाय से संबंधित हैं। राष्ट्रीय किसान दिवस एक स्वतंत्र और मजबूत भारतीय किसान का सम्मान है।

By – Vikash Kumar
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गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास
उत्तराखंड की ऐपण कला
हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन बना

हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन बना

रानी कमलापति स्टेशन

हबीबगंज स्टेशन जो कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की शान है। 15 नवंबर 2021 को उस स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है।

भोपाल की ख़ूबसूरती में आज वर्ल्ड क्लास रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का नाम भी जुड़ चुका है। यात्रियों की ज़रूरतों  को देखते हुए हर प्रकार की सुविधाओं को प्रदान करने की कोशिश की गई है। 

कैसे बदला हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन 

हबीब मियां जो भोपाल के नवाब थे उन्होंने 1970 में स्टेशन के नाम पर अपनी ज़मीन दान में दी थी, ताकि वहां रेलवे स्टेशन का विस्तार हो सके। 1979 में हबीबगंज स्टेशन का निर्माण कार्य हुआ था। दरअसल हबीब का मतलब होता है ख़ूबसूरत और प्यारा। हरियाली और झिलो के बीच बसा यह गांव भोपाल की ख़ूबसूरती को बढ़ा देता है। इसकी ख़ूबसूरती को देखते हुए भोपाल के नवाब की बेगम ने इस गांव का नाम हबीबगंज रखा था। 

आज उसी स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। जिसका उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों 15 नवंबर को हुई हैं।

15 नवंबर महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी के जयंती पर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है।

और इसी के साथ हबीबगंज स्टेशन (नया नाम) रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का कोड RKMP रखा गया है।

इस स्टेशन की सबसे ख़ास बात यह है कि यह पूरा सौर ऊर्जा से चलेगा। और यहां पर यात्रियों की सुविधाओं का ख़ास ध्यान रखा गया है। 

सीहोर जिले के सलकनपुर रियासत के राजा कृपाल सिंह सरौतिया की पुत्री का नाम रानी कमलापति था। रानी कमलापति बचपन से ही बुद्धिमान थी। कमलापति की बुद्धिमता और पराक्रम को देखते हुए राजा कृपाल सिंह ने उन्हें अपने राज्य का सेनापति घोषित किया था। 

भोपाल से लगभग 55 किलोमीटर दूर 750 गांवों को मिलाकर गिन्रौरगढ़ रियासत था यहां के राजा सूराज सिंह शाह के बेटे निजाम शाह से ही रानी कमलापति की शादी हुई थी।

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ रियासत की अंतिम गोंड रानी थी। माना जाता है कि अपनी बुद्धिमता, वीरता और पराक्रम के बल पर उन्होंने कई उत्कृष्ट कार्य किए थे। मंदिरों की स्थापना और उद्यान के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किए थे। माना जाता है कि रानी कमलापति ने अपनी इज़्ज़त की रक्षा के लिए जल समाधि ले ली। ऐसी वीरांगना के नाम पर आज हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन रखा गया है। आदिवासी समुदायों में से सबसे बड़ा गोंड समुदाय है। और 18 वीं सदी की गोंड साम्राज्य की आखरी शासिका थी रानी कमलापति। 

गिन्नौरगढ़ की गोंड रानी कमलापति का इतिहास

Gond Rani Kamlapati
फोटो गूगल सर्च से लिया गया है

रानी कमलापति सीहोर जिले के सलकनपुर के राजा कृपाल सिंह सरोतिया की सुपुत्री थी। कृपाल सिंह रानी कमलापति की बुद्धिमानी और बहादुरी को देखते हुए उनको राज्य का सेनापति घोषित किए थे। माना जाता है कि उन्हें तलवारबाजी और घुड़सवारी का शौक था।

रानी कमलापति का विवाह गिन्नौरगढ़ के गोंड राजा सूरज शाह के बेटे निज़ाम शाह के साथ हुई थी। निज़ाम शाह की सात पत्नियाँ थी। रानी कमलापति निज़ाम शाह की सातों पत्नियों में से सबसे सुंदर थी जिसके कारण निज़ाम शाह की प्रिय रानी थी।

कहा जाता है कि रानी कमलापति अपने शासनकाल में जल प्रबंधन से संबन्धित कई उत्कृष्ट कार्य किए थे। जगह-जगह उद्यान और मंदिरों की स्थापना करवाई।

वही आलम शाह बाड़ी का शासक था। और जो कि निजाम शाह का भतीजा था उसकी नज़र निज़ाम शाह की संपत्ति पर थी। आलम शाह ने अपने चाचा निज़ाम शाह की हत्या के लिए कई बार षड्यंत्र रचा मगर वह कभी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया।

आलम शाह किसी भी तरह निज़ाम शाह की संपत्ति को हथियाना चाहता था। इसके लिए उसने 1720 में निज़ाम शाह को खाने पर अपने घर बुलाया और वहां निज़ाम शाह को धोखे से खाने में ज़हर मिलवा कर उनकी हत्या करवा दी। इस प्रकार आलम शाह ने निज़ाम शाह की हत्या कर दी।

निज़ाम शाह की हत्या के बाद

निज़ाम शाह की हत्या के बाद रानी कमलापति अकेली पड़ गई। परंतु वह आलम शाह के षड्यंत्र और मंसूबों को समझ चुकी थी। वह किसी भी तरह अपने पति निज़ाम शाह के मौत का बदला लेना चाहती थी।

निज़ाम शाह ने रानी कमलापति के नाम से गिन्नौरगढ़ से दूर भोपाल में स्थित रानी कमलापति महल बनवाया था। निज़ाम शाह के मौत के बाद रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ गिन्नौरगढ़ से भोपाल स्थित कमलापति महल में आ गई। और इस तरह अपने बेटे के साथ वह रानी कमलापति महल आकर रहने लगी। 

पति के मौत का बदला लेने के लिए रानी कमलापति मित्र मोहम्मद ख़ान से सहायता ली

अब अपने पति के मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने मित्र मोहम्मद ख़ान से सहायता लेनी चाहि। मोहम्मद ख़ान ने इस युद्ध के लिए कमलापति से मोटी धनराशि की माँग की और कमलापति ने उनकी माँग को पूरा करते हुए मोहम्मद ख़ान को आलम शाह से युद्ध करने के लिए कहा।

रानी कमलापति के कहने पर मोहम्मद ख़ान ने आलम शाह से युद्ध कर उसे पराजित किया और इस तरह रानी कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला लेकर गिन्नौरगढ़ का शासन भार संभाला था।

रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ की आखिरी गोंड साम्राज्य की  महिला शासक थी। 

जीत के बाद रानी ने मोहम्मद ख़ान को भोपाल का एक हिस्सा दे दिया। लेकिन कुछ समय पश्चात मोहम्मद ख़ान ने रानी कमलापति से गिन्नौरगढ़ का साम्राज्य हड़पना चाहा। रानी कमलापति जो मोहम्मद खान को अपने भाई की तरह मानती थी। परंतु उन पर बुरी नज़र थी। जो नवल शाह को अच्छा नहीं लगा।  तब मोहम्मद ख़ान और नवल शाह में युद्ध हुआ और युद्ध के दौरान 14 साल के नवल शाह की मृत्यु हो गई।

युद्ध में हार और नवल शाह की मृत्यु की ख़बर सुनते ही रानी ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए महल की तरफ़ जो बांध था उसका पानी खोलने को कहा, जिसके कारण महल के तरफ जो सकरा रास्ता  जाता था उससे होकर पानी महल में प्रवेश कर गया और इस तरह महल धीरे-धीरे पानी में डूबने लगा, जिसमें रानी ने अपने आप को जल समाधि ले ली। 

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एपीजे अब्दुल कलाम जी के शब्दों से प्रभावित और प्रेरित सुविचार

संयम वो विश्वास है,

जो बड़े से बड़े अड़चनों को भी 

रास्ते से हटा सकता है।।

एपीजे अब्दुल कलाम जी के शब्द हर पीढ़ी के लिए एक सीख है एक मार्गदर्शक है। वह हमारे बीच अपने शब्दों में आज भी ज़िंदा है। उनके शब्दों से छात्र बहुत प्रभावित होते हैं और उनकी तरह बनने की जिज्ञासा और जोश हर युवा पीढ़ी में देखने को मिलती हैं। उनकी संयम और विश्वास की कहानी हर युवा पीढ़ी को सुननी चाहिए और उनसे सीख लेनी चाहिए। सफलता और कठिनाइयों को उन्होंने जिस तरह से व्यक्त किया है वह किसी भी हारे हुए इंसान में एक नई उम्मीद की किरण की तरह है। 

एपीजे अब्दुल कलाम जी के शब्दों से प्रेरित कुछ अनमोल विचार

कठिनाइयों का सफ़र 

बर्बादी की तरफ़ नहीं जाता। 

बल्कि हमारी छुपी हुई प्रतिभा, 

सामर्थ्य और शक्तियों को 

नई दिशा देता है।।

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असफलता वह बीमारी है

जिसकी दवा केवल 

आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत है 

यही हमें सफलता तक पहुँचाती है।।

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कोशिश करने वालों को सफलता 

ज़रूर मिलती है 

इंतज़ार करने वालो को नहीं।।

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सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाते ही 

कामयाबी हमें अकेले से 

भीड़ में लाकर खड़ा कर देती है।।

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ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्द 

हमारे जीवन को ब्राइट बनाते हैं।।

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मैं खूबसूरत हूँ या नहीं

यह ज़रूरी नहीं।

लेकिन किसी ज़रूरतमंद की 

मदद करने के लिए 

मेरा सुंदर दिल साथ देगा, 

ना कि सुंदर चेहरा।।

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दैनिक समस्याओं से घिरा व्यक्ति

अपनी अच्छी बातों को भूल जाता है 

जो उसमें है।।

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हम अपनी कुछ आदतों को बदलकर, 

अपने भविष्य को एक नया रूप दे सकते हैं।

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ऐपण क्या है ?

प्रेरणादायी एक लड़की