Poem

ख़ुद से उम्मीद

ख़ुद से उम्मीद, ख़ुद से एक वचन हर रोज लेती हूँ,

ख़ुद का विश्वास, ख़ुद से ही जीत लेती हूँ।

मुश्किलों के दौर में, लड़खड़ाते कुछ दौर गुज़रता ज़रूर है,

ख़ुद को हर दौर पर, खड़ा करने की कोशिश किया करती हूँ।

हार जाती हूँ  मगर, गिरने ना देती हूँ  ख़ुद को, 

अपनी उम्मीदों पर, हर हाल में खरा उतरती हूँ।।

कविता – भोर हुई

किरणो के रथ पर सवार, 

आए “दिनकर” अभिनंदन हो जय जयकार, 

ठिठुर कर छुप गई है अंधकार, 

जब जगमगाया पूरब का द्वार, 

शंख, गान, आरती से गूंज उठा चारो दिशा, 

भोर के आगमन के स्वागत में डूबा पूरा संसार, 

ओस की बूंदों ने प्रकृति को शोभायमान किया, 

भोर की बेला में मन मयूर बन झूम उठा।।

By – Supriya Shaw…✍️🌺

Har chhan Ko Hans Kar Jiyo

एक पल में क़िस्सा कभी शुरू नहीं होता, 

पर क्षण में क़िस्सा ख़त्म हो जाता है।

सुख-दुख करवट लेकर आती-जाती रहेंगी, 

जाने कौन करवट साँसे थम जाएगी।

ज़िंदगी के हर क्षण को हँस कर जियो, 

जाने कब कौन सा पल रुला कर चला जाए।।

Tum daro mat, bas aage badhte jao

Tum daro mat, bas aage badhte jao

हवा का रुख़ कभी एक सी नहीं रहती, 

कभी इधर तो कभी उधर चली जाती है।

रूप कई बदलकर हमारे आसपास मंडराती है, 

पर तुम डरो मत, बस आगे बढ़ते जाओ।

देख हमारी हसरत उसकी गति बदल जाती है, 

हमारे इरादो को देख वो राह बदल देती है।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

Nakaratmak Mat Socho

एक सोच पल में बदल दे स्वर कंठो की, 

मृदुल सी बोली से जोड़े कई रिश्तों को।

एक सोच आसमाँ छूने की जब ठाने ह्रदय से, 

लाख अँधेरों में भी मिल जाएँ जुगनू की किरण भी।

नकारात्मकता को जो साथ लिए, “ना” की जगह बन जायेगा,

सकारात्मकता को जो साथ लिए, “हाँ” से रिश्ता जुड़ जायेगा।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

“Tere apne tujhse kuchh ummid lagaye baithe hain”

भूल से ही भूल हो जाया करती है

एक अलग दुनिया हम सज़ा लेते हैं। 

अपनी खुशियो का दर्ज़ा पहला रखते हैं, 

अपनों की उम्मीदो को जब हम भूल जाते हैं। 

महलो के आशियाने को हीरे जवाहरातो से सजाते हैं, 

तब अपने भी अपनों से दूरी बनाए रखते हैं। 

उम्मीद के आँसू इंतज़ार में सूख जाते हैं, 

जब महलो के दरवाज़े भी बंद नज़र आते हैं। 

अपनों का साथ सपना बनकर रह जाता हैं, 

जब उम्मीद की घड़ियाँ इंतज़ार में बदल जाती है। 

अपनो से उम्मीद अपने ही करते हैं, 

नाउम्मीदी से अपनों को दुःखी हम करते हैं।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

आँखें बंद करके

आँखें बंद करके

आँखें बंद करके

वह पल दोहरा लेती हूँ

ज़िंदगी जीने की 

वज़ह ढूंढ लेती हूँ

हर ख़्वाब को 

हक़ीक़त बना कर 

ज़िंदगी में शामिल कर लेती हूँ

ज़िद समझो शायद 

पर कोशिश है मेरी

हर किरदार को निभाने का 

हुनर ढूंढ लेती हूँ

जुगनू नहीं मैं 

जो कुछ पल की रोशनी दे 

दम तोड़ देती है

मैं वो सितारा हूँ

जो अपनी रोशनी से 

ख़ुद जगमगाती हूँ।।

By – Supriya Shaw…✍️🌺

Kalam Bannunga

कलाम बनूँगा

ख्वाहिशों की उड़ान हो, 

गगन को छूने की चाह हो, 

लक्ष्य साधक बने हमेशा, 

निराशा कभी ना साथ हो, 

चमकता सितारा कहलाते, 

कर्तव्य से कभी ना हट पाते,

नव युग का निर्माण करें, 

नव युवाओं की प्रेरणा बने, 

हर धड़कन में ख्वाब यही हो, 

हम भी एक कलाम बने।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

Ibadat ki Takat

इबादत ख़ुदा की करो या इंसान की, 

दिल की पुकार ज़रूर पहुँचती है।

आस्था की ताकत कभी कमज़ोर नहीं होती, 

जब मन के दरवाजो को खटखटाने की ताक़त होती है।।

– Supriya Shaw…✍️🌺

Happy Teacher’s day

गुरु का दर्जा है सर्वोपरि, उनके जैसा पथप्रदर्शक नहीं,

अज्ञानता के अंधकार से हमें कराते परिचित, 

संस्कारों की अहमियत का अभास कराते गुरुजन, 

ज्ञान का भंडार देकर जीवन को सुखमय बनाते हैं, 

ऐसे सभी गुरुओं को हमारा है नमन।।